31 जनवरी 2010

पदाधिकारियों की मिलीभगत से जारी है उर्वरकों की कालाबाजारी, किसी पार्टी के नेता नहीं उठते इनकी आवाज

कृषि प्रधान देश में किसानों की हालत कितनी दयनीय है उसे इस बात से समझा
जा सकता है कि 500 रू0 में बिकने वाला डी. ए. पी. सहित अन्य उर्वरक 800
रू0 में किसान कालाबाजर से खरीद रहे हैं और इनकी समस्या पर आवाज उठाने
वाला न तो कोई नेता है और न ही प्रशासन इस दिशा में संवेदनशील। अपनी
बदहाली पर मजबूर हो किसान उर्वरक खरीदने के लिए दुकानदारों की चिरौड़ी कर
रहें हैं और पहले तो दुकानदार उर्वरक नहीं होने की बात कहतें है और बाद
में उंची कीमत पर तैयार होतें है। उर्वरक की कालाबाजारी की समस्या कितनी
गम्भीर और संवेदनशील है कि इससे जुड़े थोक व्यापारी अरविन्द कुमार
प्रशासन के द्वारा छापामारी किए जाने पर किसानों से और अधिक किमत बसूलने
की बात निर्लज्जता के करते हैं। उनका मानना है कि जब भी प्रशासन सक्रिय
होता है तो उन्हें नज़राने की रकम बढ़ानी पड़ती है और कालाबाजरी जारी
रहेंगा। ऐसी बात नहीं है कि यहां उर्वरक की किल्लत है, थोक व्यापारी इसकी
कृत्रिम किल्लत पैदा कर अधिकारियों की मिली-भगत से किसानों को दोनों
हाथों से लूट रहें हैं। इस सम्बंध में सूत्र बतातें है कि पूर्व में
आनन्द एन आनन्द नामक फर्म के मालिक के जीवित रहने पर उर्वरक की
कालाबाजारी पर अंकुश रहती थी पर उनके अचानक निधन के बाद यहां एक मात्र
थोक व्यावसाई रह जाने की वजह से उनके द्वारा मनमना मूल्य बसूला जा रहा
है। बताया जाता है कि बुल्लाचक स्थित दुगाZ फर्टिलाइजर नामक स्थित फर्म
के द्वारा खुदरा व्यावसाई से सादे वाउचर पर हस्ताक्षर करा लिया जाता है
और उनसे 425 रू में मिलने वाली एन. के. पी. नामक उर्वरक को 525 रू0 में
दिया जाता है और खुदरा व्यापारी उसे किसानों को 550 रू0 में बेचते हैं।
बताया जाता है उक्त व्यावसाई का गोदाम सामाचक स्थित कचहरी तथा मिशन चौक
से वारसलीगंज जाने वाली मार्ग के किनारे स्थित है पर उस पर कभी प्रशासन
की नज़र नहीं जाती। सूत्रों की अगर माने तो उर्वरक की कालाबाजारी में
स्थानीय और जिला स्तर के पदाधिकारियों की स्पष्ट संलिप्तता रहती है
क्योंकि जितनी उर्वरक जिले को आवंटित होती है वह जिले के गोदामों में आया
कि नहीं इसकी सत्यापन करना, इसकी विक्री पर नज़र रखना पदाधिकारियों का
काम है पर नज़राने के दम पर सारा कार्य कागजों पर हो जाता है। बताया जाता
है उक्त गोदामों में चोरी छिपे उर्वरकों को रखा गया है और चोरी छिपे उसकी
विक्री की जाती है।

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