14 मई 2010

धार्मिक सौहार्द की मिशाल पेश करते हुए शिक्षकों ने बचाई अपने साथी की जान।

सियाशतदां भले ही धर्म की दीवार खड़ी कर समाज को बांटने की लगातार कोशिश करते रहते है पर मनुष्य की संवेदना, बंधुत्व और सामाजिक सहयोग ने सियाशतदां को हमेशा परास्त किया है। ऐसी ही एक मिशाल कायम की शेखपुरा जिले तहत बरबीघा के शिक्षकों ने। शिक्षकों ने भाईचारे और धार्मीक सौहार्द की मिशाल पेश करते हुए सड़क दुर्धटना में गम्भीर रूप से जख्मी शिक्षक अशरफ हुसैन की जान बचाने के लिए एक लाख से अधिक की राशि इक्कठा कर ईलाज में खर्च किए। इतना ही सड़क दुर्धटना में गम्भीर रूप से जख्मी शिक्षक को ईलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया तथा अन्य मदद की। शिक्षक अशरफ हुसैन उर्फ मुन्नी लाल ंशेखपुरा के अहियापुरा मोहल्ले का रहने वाले थे तथा रोज की भान्ति बरबीघा स्थित डीएवी मध्य विद्यालय नियत समय पर पढ़ाने के लिए आ रहे थे कि बस से उतरने के क्रम में स्थानीय हटीया मोड़ पर एक अनियन्त्रित बेलोर ने पीछे से टक्कर मार दी जिसकी वजह से वे गम्भीर रूप से जख्मी हो गए। शिक्षकों के सहयोग से जब उन्हे बरबीधा अस्पताल लाया गया तो उनकी हालत और गम्भीर हो गई जिसे तत्काल चिकित्सको ने पटना ले जाने की सलाह दी। हुसौन के परिजनों की आर्थिक स्थित कमजोर थी तथा नियोजन पर नियुक्त शिक्षक होने की वजह से उनकी आमदनी भी अच्छी नहीं थी तब शिक्षको ने सहयोग कर तत्मकाल उन्हे पटना ले जाने में न सिर्फ मदद की बल्कि अन्य शिक्षको स ेचन्दा कर राशि इक्क्ठी की और अशरफ हुसैन का ईलाज पटना के प्रसिद्व निजि चिकित्सालय में कराया जिसकी वजह से आज हुसैन को नया जीवन मिला और वे घर वापस आ गए।

शिक्षकों की माने तो हुसैन में एक स्वच्छ शिक्षक के सारे गुण मौजूद है तथा वे मृदुभाषी एवं सबसे साथ अच्छा व्यवहार करने वाले व्यक्ति है। हुसन समय पर विद्यालय आने वाले तथा कक्षा में समय पर पढ़ाने में ध्यान देते है।
कुछ भी हो जहां आज एक एक रूपये की कीमत लोगों की जान से भी ज्यादा होने लगी है वहां शिक्षको ंने सहयोग कर एक लाख से अधिक की राशि इक्कठी कर न सिर्फ हुसैन की जान ही बचाई बल्कि समाज के सामने एक अनुठी मिशाल भी पेश
की


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