17 अगस्त 2010

मृत जानवर नहीं फेंकने पर महादलित परिवार का हुक्का पानी बन्द। पंचायत बुला का लिया फैसला। मृत जानवर को महादलित के घर में फेंका।



दलितों के उत्थान के लिए सरकार के सारे दाबों की पोल खोल रही है जिले के चान्दी गांव में घटी घटना। कसार थाना के चान्दी गांव गवाह है सामन्तवाद और दलितों के उत्पीड़न की। यह सामन्तवाद ही है कि चान्दी गांव के दलित समुदाय के लोगों ने जब मृत जानवर को उठाने से मना कर दिया तो सामन्तों ने मृत जानवर को न सिर्फ दलित के घर के आगे फेंक दिया बल्कि पंचायत बुला कर दलित समुदाय का हुक्का पानी बन्द कर दिया। मृत जानवरों को ठिकाने लगाने वाले जाति विषेश के साथ ऐसा किया गया तो गांव में तनाव फैल गई और इसका विरोध किया जाने लगा। पुलिस को जब तक इस घटना की भनक लगती जब तक एक जाति के लोगों को अपमान और जिल्लत झेलनी पड़ी तथा उसे उत्पीड़न का दंश झेन पड़ा।
घटना की बुनियाद उस समय पड़ी जब परंपरागत रूप से इस काम को करने वालों के द्वारा बैठक कर इस काम को करने से इंकार करने का निर्णय लिया। अपने इस निर्णय को लागू किए जाने की सूचना भी गांव के लोगों को दे दिया गया। दलितों का यह फैसला सामन्तों को नागवार लगी और फिर गांव में मरे दो गायों को फेंकने का दबाब महादलित परिवारों पर बनाया जाने लगा। जब लोगों ने सामन्तो की बात नहीं मानी तो पंाचायत बुला कर महादलित परिवारों का हुक्का पानी बन्द करने का तुगलकी फैसला सुनाया जिसके अनुसार गांव के किसी भी लोगों के द्वारा इस जाति के लोगों को रोजगार नहीं दिया जाएगा। इस जाति कें लोगों को ईलाज नहीं किया जाएगा। सार्वजनिक चापकल तथा कुंआ से पानी लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा खेतों में गुजरने एवं मवेशी ले जाने से भी रोक लगा दी गई। इस घटना के बाद पप्पु रविदास के साथ मारपीट की गई तथा अमानवियता का परिचय देते हुए लोगों ने मरा हुआ जानवर अनिल रविदास के घर में फेंक दिया। इस घटना की सूचना जब अनिल रविदास के  द्वारा दी गई तो पुलिस ने पहले तो आना काना की और जब गांव में तनाव फैला तो आनन फाानन में पुलिस ने सात लोगों को नामजद अभियुक्त बना कर प्राथमिकी दर्ज की तथा गांव में पुलिस कैंप करते हुए दोनों पक्षो को समझाने का काम कर रही है।

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