20 फ़रवरी 2013

स्वीट प्याजन है बिहार सरकार की शिक्षा और शराब नीति।


 बिहार की शिक्षा नीति पर अक्सर सवाल उठते रहे है और परिक्षाओं में नकल यहां की परंपरा है। बिहार में शराब नीति और शिक्षा नीति दोनों आलोचना का विषय बना हुआ है। शराब और शिक्षा नीति एक दो और हजार नहीं बल्कि पीढ़ियों के लिए स्वीट प्याजन साबित हो गया है।
शराब नीति का हाल यह है जिन गांवों में दूध की गांगा बहती थी वहां आज शराब की सरकारी दुकानों में बच्चे और युवा शराब पीते नजर आते है। जिन गांवों की चौपालों की बैठकी में देश और दुनिया का हिसाब-किताब लिया जाता था वहां आज गाली गलौज होता है।
खैर! अभी परीक्षा का समय है और नकल को लेकर शेखपुरा जिला में छात्राओं ने जमकर हंगामा किया। जिलाधिकारी संजय सिंह ने जब नकल करते एक ही कमरे में 64 छात्राओं को पकड़ा तो सबको निलंबित कर दिया। फिर क्या था बबाल तो होना ही था। सो बबाल इतना बढ़ गया कि काबू पाने के लिए पुलिस को कई राउण्ड गोलियां चलानी पड़ी।

दरअसल नकल की बिहारी परंपरा के पीछे भी एक सच है। यह बिहार सरकार की गलत शिक्षा नीति का परिणाम है। इंटर की पढ़ाई के लिए किसी भी कॉलेज-स्कूल में शिक्षक नहीं है। वानगी देखिए। शेखपुरा जिले का एसकेआर कॉलेज बरबीघा में पिछले पांच साल से विज्ञान पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। बाबजूद इसके प्रति साल विज्ञान में नामांकन लिया जाता है और विद्यार्थी परीक्षा देते है। 

दरअसल डिग्रियों के सहारे नौकरी की लगन वर्तमान सरकार ने पैदा कर दी है। पढ़ाई होती नहीं तो विद्यार्थी नकल करने को मजबूर होगें ही। पोशाक, साईकिल और छात्रवृति के लिए पैसा तो दिया जाता है पर पढ़ाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सो वर्तमान सरकार नकल रोकने पर जोर तो दे रही है पर नकल करने के लिए भी यही उकसा रही है और यह बिहारीपन के उस मद्दे को मारने का काम है जिसके दम पर देश और दुनिया में बिहार का डंका बजता है।

14 फ़रवरी 2013

वेलेन्टाइन और गुलाब



तुम ही कहो प्रिये
क्या वेलेन्टाइन पर
गुलाब देने भर से
समझ जाओगी तुम..
भला कहो तो कैसे...?
शाख से तोड़ कर
एक लाल गुलाब
दे भी दूं तुम्हें
तब भी क्या किसी के शाख
से तोड़ लेने का दर्द
सालता नहीं रहेगा मुझे....

तुम्हारे
नाजुक हाथों में कहीं
चुभ न जाए कांटे
इसका डर भी तो मुझे डराता रहेगा...

तुम्ही कहो प्रिये
जब दिल के धड़कने की सदा
से तुम्हारा दिल न धड़का हो
सांसो की संगीत से
तुम्हारा मन न झुमा हो
तब भला फूल को तोड़कर
किसी को दर्द क्यों दू...
तुम्हीं कहो  प्रिये
आखिर
प्रेम तो प्रेमपुर्ण होता है न...




11 फ़रवरी 2013

हाय सरकारी स्कूल



यह है बिहार सरकार का सरकारी स्कूल। तेउस पंचायत का जयंती ग्राम मुसहरी का मध्य विद्यालय। यहां बच्चे मध्यान भोजन कुत्तों के साथ बैठ कर खा रहे है। इस स्कूल 100 प्रतिशत मांझी जाति के बच्चे पढ़ते है। मध्यान भोजन का एक बड़ा हिस्सा शिक्षकों के जेब में चला जाता है तब यह हाल है...शिक्षकों की संवेदनहीनता की यह प्रकाष्ठा है....