16 मार्च 2014

जोगीरा सारा रा रा......


अबकी होली लालू भैया को नहीं रहो हे भाय।

दोनों राम छोड़ गयो, का संग होली मनाया।।
जोगीरा सारा रा रा...

राबड़ी भौजी भी अब राहन लगी उदास।
पावर गयो, कुर्ता-फाड़ खेलन कोय न आया।।
जोगीरा सारा रा रा.....

का से कहे सुशासन बाबू आपन जिया का हाल।
जंगल राज वाला सब उनका मोदी से दियो भिड़ाय।।
जोगीरा सारा रा रा....

मोदी से दियो भिड़ाय कि तहिना से जतरा भयो खराब।
अब तो चुहबो सब भी उनपर शेर नियर गुर्रार।।
जोगीरा सारा रा रा.......




10 मार्च 2014

सत्यमेव जयते

पुण्य प्रसुन बाजपेई के विडीओ को लेकर उनकी पत्रकारिता के साथ प्रश्न उठाए जा रहे है। जी न्यूज वाले (जहां से वे छोड़ कर आजतक आए है) इसपर मुहिम चला रहे है! विडम्बना है। मीडिया से जुड़े लोगों को पूरी तरह से पता है कि किसी भी नेता का इंटरव्यू के पहले या बाद में फॉर्मल बातचीत होती जहां नेता को अच्छे से इंटरव्यू चलाने का भरोसा देते है पुण्य प्रसुन के विडीओ में इससे अधिक कुछ नहीं है।
पर बात चुंकी अरविन्द्र केजरीबाल से जुड़ा है सो भूसे की ढेर से सुई खोजी जा रही है। यह इंटरव्यू चंुकी लाइव था तो किसी हिस्से को ज्यादा या कम दिखाया ही नहीं जा सकता सो यह आरोप ही निराधार है कि केजरीबाल के कहने पर कुछ हिस्से को ज्यादा दिखाया गया।
इस वीडियों में कहीं पैसे लेने की बात नहीं हो रही है पर पेश ऐसे किया जा रहा है जैसे बाध मार दिया। खैर, पुण्य प्रसुन तुम धवड़ना मत बहुत से लोग तुमसे हौसला पाते है तुम अपना हौसला मत छोड़ना.....हमेशा से सत्य की जीत होती है, आज भी होगी, सत्य मेव जयते....

08 मार्च 2014

खुदाई में मिली बुद्ध की प्रतिमा




शेखपुरा, बिहार
शेखपुरा जिले के अरियरी प्रखण्ड के नवीनगर ककरार गांव में बुद्ध की प्रतिमा मिली है। यह प्रतिमा तालाब खुदाई के दौरान मिली। प्रतिमा मिलने के बाद गांव में तनाव हो गया और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने प्रतिमा स्थापित करने का विरोध किया जिसके बाद एसपी मीनू कुमारी की पहल पर पुलिस के हस्तक्षेप पर प्रतिमा को स्थानीय मंदिर में स्थापित किया गया है। वे लोग खुदाई स्थल पर प्रतिमा स्थापित करने का विरोध कर रहे थे।
यह प्रतिमा काले ग्रेनाइट पत्थर की बनी हुई और यह साढ़े तीन फिट उंची तथा ढ़ाई फिट चौड़ी है। इस गांव में पहले भी भगवान बिष्णु की प्रतिमा मिल चुकी है और ग्रामीणों की माने तो तालाब की खुदाई में और भी मुर्तियां मिलने की उम्मीद है।


औरत केवल औरत नहीं होती..(महिला दिवस पर )

औरत केवल औरत नहीं होती..
वे होती एक मां
जिनकी आंचल में पलती है
जिंदगी।

वे होती है एक पत्नी
जिनकी आंचल में पलता है
प्यार।

वे होती है बहन-बेटी
जिससे आंगन मे पलता है
दुलार.

औरत केवल औरत नहीं होती
वे है तो होता ईश्वर के होने का होता है एहसास ...

06 मार्च 2014

मजदूरनी





















देखना तुम
ये घर मैं बना रही हूँ
इंट-गारे के साथ
अपना पसीना मिला रही हूँ..

बताउंगी किसी अपने को
की ये जो दूर से चमक रहा है
इस घर को मैंने बनाया है...


चाँद सिक्के दे
भले ही तुम भूल जाओ मुझे बाबू
पर मैं हमेशा याद रखूगी इस घर को...

(मित्र के बन रहे मकान पे काम करती इस मजदूरनी को देख मुझे लगा की वह यही कह रही है....)

03 मार्च 2014

मोरल वैल्यु की जगह मार्केट वैल्यु को मीडिया में जगह देना खतरनाक।

बरबीघा, शेखुपरा (बिहार)
वर्तमान मीडिया में मोरल वैल्यु की जगह मार्केट वैल्यु को जगह दिया जा रहा है जो कि देश और समाज के लिए खतरनाक है। पुजींवाद जब जब हावी हुआ है तब तब समाज को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
उक्त बातें एसकेआर कॉलेज के पुर्व प्राचार्य डा0 शिवभगवान गुप्ता ने कही। वे श्रीनवजीवन अशोक पुस्तकालय में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। विचार गोष्ठी का विषय मीडिया का सामाजिक सरोकार रखा गया था। यह पुस्तकाल 1937 में स्थापित है और यहां प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद, बिहार के प्रथम सीएम डा0 श्रीकृष्ण सिंह सहित अन्य महापुरूषों को आना हुआ है।
वहीं विचार गोष्ठी मंे बोलते हुए पत्रकार डा0 दामोदर वर्मा ने कहा कि समाज को आइना दिखाना मीडिया का काम है और जैसा समाज होगा वैसी ही मीडिया होगी पर कुछ कमियों की वजह से मीडिया का क्षरण भी हुआ है।
पत्रकार गणनायक मिश्र ने कहा कि मीडिया में क्षरण विज्ञापन की वजह से आया है और पुजींवाद की वजह से रिर्पोटरों के हाथ बंध दिए गए है। उन्होने कहा कि समाज के सरोकार के लिए ही चौथे खंभे की स्थापना हुई है और जबतक समाज रहेगा चौथाखंभा भी अपने दायित्व का निर्वहन करता रहेगा।
वहीं पत्रकार अरूण साथी ने कहा कि मीडिया तमाम नकारात्मकता के बीच आज भी सकारात्मक और सशक्त है और इसी का परिणाम है कि आशाराम बाबू, तरूण तेज पाल जैसे लोग सलाखों के पीछे है और सुप्रिम कोर्ट के जज को भी मीडिया ने कठघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं केदारनाथ त्रासदी के समय मीडिया के रोल को लोगों ने सराहा है।
वहीं सुधांशु कुमार ने कहा कि मीडिया का सामाजिक सरोकर घटा है और करोबारी मीडिया आम लोगों तथा दबे कुचलों की आवाज नहीं उठा पाता। साथ ही नीरज कुमार ने कहा कि प्रिन्ट मीडिया आज भी इलेक्ट्रोनिक मीडिया से ज्यादा विश्वसनीय है।
वहीं पत्रकार निरंजन कुमार ने कहा कि विज्ञापन और पेड न्यूज के समय में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल तो उठे है पर इससे उबरने के लिए मीडिया को ही पहल करनी होगी। उन्हांेने कहा कि आज अखबार गली-मोहल्ले का हो गया है और इसमें जगह की कमी नहीं है फिर भी दबे-कुचलों की आवाज इसमें नहीं होती है।
समारोह में पत्रकार दीपक कुमार, रंजीत कुमार, मनोज कुमार ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। हलाँकि बीच में बिजली गुम हो गयी और इमरजेंसी से काम चलाना पडा....

01 मार्च 2014

प्रेम का ज्वारभाटा..
















जब जिम्मेवारी
सामाजिक प्रतिष्ठा
आत्मिक नैतिकता
चारित्रिक पतन

पतीत माने जाने का डर

सब हो, तब भी
ज्वारभाटे की तरह
आकांक्षाऐं मचल उठती है
ओह.......

गहरे समुद्र में ही तो
उठता है ज्वारभाटा....
और डूब जाती है
प्रतिष्ठा/नैतिकता/पाप/पुण्य
की क़िश्ती
कागज़ की नाव की तरह

शेष रह जाता है
नैसर्गिक सत्य.....