26 अक्तूबर 2017

डूबते हुए को पहले नमन करता है भारत

डूबते हुए को पहले नमन
अरुण साथी
भारतीय संस्कृति, सभ्यता और संस्कार की यही पहचान है और इसी पहचान का उद्घोष है आस्था का महापर्व छठ के अवसर पर डूबते हुए सूरज को सबसे पहले नमन करना। भारतीय संस्कृति की झलक इतिहास में झांकने से भी नजर आएगी जब इतिहास पुरुष दबे कुचले और कमजोरों की मदद करने के लिए सबसे पहले आगे आते हैं।

यह हमारा संस्कार है और इसी उद्घोष के साथ छठ पर्व पर हम सबसे पहले डूबते हुए सूरज को अर्घ देते हैं। साथ ही साथ उसी समय हम यह भी संदेश देते हैं कि जो डूब रहा है उसका भी उदय होगा। आज संध्या अगर कोई गिर पड़ा है, कोई डूब रहा है तो कल सुबह वह फिर उठेगा फिर उसका उदय होगा और फिर हम जिसका उसको भी नमन करते हैं। हम उस को नमन करते हैं जो डूबने के बाद आज सुबह फिर से निकल पड़ा है अपनी अनंत यात्रा पर। उस यात्रा पर भी जिसमें कल डूब जाना भी सुनिश्चित है। यह उस की यात्रा का भी संदेश है कि जैसे ही हम उगते हैं तो धीरे-धीरे प्रयास करते हुए हम संसार में अपनी रौशनी बिखेर दें। वह संसार हमारा लघु भी हो सकता है और बृहत भी हो सकता है। एक सूरज जो आसमान पर छा कर पूरे ब्रम्हांड को रैशन करता है तो दूसरा सूर्य हम भी बन सकते हैं और अपने आसपास लघुता में ही सही थोड़ी सी रौशनी बिखेर सकते हैं।

हालांकि उसी सूर्य की तरह शाम होने की भी सुनिश्चितता है परंतु उसी शाम की तरह फिर से सुबह होने की सुनिश्चितता लिए हम चलते रहें और दुनिया में रौशनी बिखेरते रहे। आस्था के इस महापर्व छठ का एक मौलिक संदेश है।

08 अक्तूबर 2017

वोट बैंक में बदला धर्म लोकतंत्र का जहर

वोट बैंक में बदला धर्म लोकतंत्र का जहर

अरुण साथी

ताजिया को अपने कंधे पर उठाए मेरे ग्रामीण युवक बबलू मांझी रात भर जागकर नगर में घूमता रहा। वह एक हिंदू होकर ताजिया को कांधा दे रहा है इस बात से उसे कोई लेना-देना नहीं है। उसका धर्म बस दो पैसा कमा लेना है जिससे उसके बाल-बच्चे को रोटी मिल सके। उसके साथ दो दर्जन मांझी युवक यही कर रहे थे। यही युवक देवी दुर्गा की भारी-भरकम प्रतिमा को भी कंधे पर उठाकर रात-रात भर जागकर नगर में घुमाते रहें है। आज जब हम धर्म के नाम पर मार-कुटाई कर रहे हैं और नफरत की इतनी बड़ी खाई बना दी गई है कि कोई गांधी भी आकर उसे अब पाट नहीं सकता तब बबलू मांझी जैसे युवकों से ही हमें सीख लेनी चाहिए, उसका धर्म उसकी रोटी है। रोजगार है। भूख है। विकास है।

कितनी नफरत है चारो तरफ

बात अगर धार्मिक नफरत की करें तो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक बड़ी सी दीवार नजर आती है। यह आग नेताओं द्वारा हमेशा से लगाई जाती रही है पर अब इस आग में घी का काम सोशल मीडिया कर रही है। साथ साथ चौथाखंभा भी यही कर रही। अब चैनल छाती ठोक से पार्टी के समर्थक होने का दावा कर रहे। हमारी राजनीतिक आस्था का पता भी अब इससे चलता है कि हम #ज़ी_न्यूज़ देखते है की #एनडीटीवी! कट्टरपंथी हिंदू से अगर बात करें तो उनके लिए मुसलमानों का बच्चा बच्चा आतंकवादी है! मदरसों में पढ़ाई जाने वाली धार्मिक कट्टरता आतंकवादी पैदा कर रहे हैं! उनका तर्क होता है कि दुनिया भर में आतंक फैलाने वाला हर एक आदमी मुसलमान क्यों है! मुसलमान भारत को अपना देश नहीं मानते! वे दुश्मन देश पाकिस्तान को अपना मानते है!

उधर मुसलमानों से अगर बात की जाए तो उनके लिए देश से बड़ा धर्म है! इंसानियत से बड़ा शरीयत है! वे कहते हैं कि बंदेमातरम् क्यों कहूं? वे कहते हैं कि दुर्भाग्य से नरेंद्र मोदी देश का प्रधानमंत्री है? आज भी वह इसे स्वीकार नहीं कर रहे! तीन तलाक, बाल काटने पे फतवा जैसे मशलों पे तथाकथित क्रांतिकारी, उदारवादी लोग भी चुप्पी साध लेते है। और गौ रक्षक, लव जेहाद, असहिष्णुता, लिनचिंग जैसे मुद्दे पे उनकी उदारता प्रखर हो उठती है!

आग ही आग
बिहार में दुर्गा पूजा और मोहर्रम में मचा हंगामा अभी नहीं थमा है। नवादा में हंगामा इस लिए मच गया कि कुछ युवक नारा लगा रहे थे "भारत में रहना है तो वन्दे मातरम कहना होगा।" और फिर ताजिया जुलूस में कहीं पाकिस्तानी झंडे और टी शर्ट पहन कर निकले तो कहीं पाकिस्तान जिन्दावाद का नारा लगाया! क्रिकेट मैच हो या अन्य मुद्दे पाक का समर्थन करते है...

दूसरी तरफ गौ रक्षा के नाम पे लंपट गैंग आदमी की सरेआम हत्या कर रहे हैं जबकि वही गैंग तब चुप रहता है जब बूढ़ी, बीमार गाय हो हिन्दू ही कसाई के हाथों बेच देता है। पशु बाजार जाकर देखिये तब समझ आएगा की हिन्दू का गौ प्रेम कितना है!
हद तो यह कि ये गैंग तब भी चुप रहता है जब गौशाला में 700 से अधिक गाय खाना के अभाव में मर जाती है। तब चुप रहता है जब उनकी प्यारी सरकार गौशाला के लिए कुछ नहीं करते..!

गांधी का अपमान
व्हाट्सएप ग्रुप में यदि देखें तो हिन्दू शब्द वाले ग्रुप में ऐसे ऐसे अफवाह रहेंगे की लगेगा देश नहीं बचेगा। अभी हाल भी में एक मित्र के ग्रुप को देख रहा था। गांधी जयंती पे गांधी जी को इतनी गालियां दी गयी कि कहा नहीं जा सकता और ग्रुप में किसी ने विरोध नहीं किया। इसी तरह मुसलमानों के ग्रुप में भी नरेंद्र मोदी को लेकर देखा जा सकता है!

वोट बैंक में बदल जाना

नफरत की राजनीति करने वालों के लिए यह सुखद समय है। आज जनहित की राजनीति करने वाले विलुप्त हो गए है और जहर उगलने वालों का जयकार है। निश्चित रूप से इससे कभी देश का भला नहीं हो सकता। आज मुसलमानों के आर्थिक पिछड़ापन, गरीबी को देखें तो यह बात समझ मे आ जायेगी की मुसलमानों के हितैषी पार्टियों ने उनके लिए क्या किया? बस एक वोट बैंक बन कर रह गए। हद तो यह कि यह बात मुसलमानों को आज तक समझ नहीं आयी। आश्चर्य है कि मुस्लिम हितैषी पार्टियों ने हलखोर जैसे गरीब मुसलमानों को दलित का दर्जा नहीं दिया, बस नारा दिया।

आज वही स्थिति हिंदुओं की है। हिन्दू आज वोट बैंक में बदल गए हैं। वे कहते है रोटी, रोजगार, विकास, अपराध, अपमान, बेटी सुरक्षा की बातें मत करो, धर्म की बातें करो। वही हम कर रहे। एक स्वास्थ्य समाज, संस्कृति और प्रगतिशील लोकतंत्र के लिए धर्म और जाति का वोट बैंक में बदल जाना उतना ही खतरनाक है जितना जहर पीना..! तुष्टीकरण ने न मुसलमानों का भला किया न हिन्दुओं का करेगा..बस..बहुत लंबा हो गया..

02 अक्तूबर 2017

*अंतर्राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्षता उन्मूलन दिवस*

*अंतर्राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्षता उन्मूलन दिवस*

साहब बहुत गरम है, कह रहे हैं कि गंधी जी को मार तो दिया पर वह मर काहे नहीं रहिस है। अगल-बगल में चेले चपाटी भी थे। वे लोग भी साहिब के गुस्से को देखकर मुंह लटका लिए। जयंती के दिन वैसे भी मुंह लटका ही लेना चाहिए। चेले चपाटी को यही लगा। पर साहेब का गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा। तभी उधर से हमारे मघ्घड़ चा भी आ पहुंचे।

"का कहते हो मर्दे। हेतना उपाध्याय, मुखर्जी सबको लगा दियो तब भी गंधी महत्मा नहीं मर रहिस...घोर कलयुग..काहे नहीं, हे राम-काम तमाम वाले दिन को अंतर्राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्षता उन्मूलन दिवस धोषित कर देते हो। एकरा में मसूदी, बगदीदी जैसे क्रांतिकारी का भी समर्थन मिल ही जायेगा....ठोका-ठाकी पार्टी वाला सब साथ आ ही जायेगा..।"


चा का ई सुझाव साहिब को जांच गया। तब से अंतर्राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्षता उन्मूलन दिवस की घोषणा हो गयी। मघ्घड़ चा सुनहरे सपनों में खोकर योजना बना लिए। उस दिन सोशल मीडिया पे सेकुलर कुत्ते जैसे अनमोल प्रवचन की भरमार रहेगी...

मजाल है कि चूं कर ले..ऐसा ऐसा बीएचयू और जेएनयू टाइप फार्मूला निकालेंगे की सेकेंड नहीं लगेगा देशद्रोही साबित करे में..वैसे भी इतने सालों तक ई खांग्रेसी देशद्रोही, भ्रष्टाचारी ही शासन करते रहे है. ई वामी कीड़े तो रजिस्टर्ड देशद्रोही है..गरीब के नाम पे लूट करे वाला...

तभी जुम्मन आ कर पूछने लगा "साहिब हुजूर। गोबर बहुते जमा हो गया है। उसको दीवार पे थापे की नहीं। का आदेश है। कहीं रक्षक जी महाराज आकर मार कुटाई न कर दें...."

जे हिन... जे भारत...